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Showing posts from April, 2014

तस्वीर

सुई कि कड-कड आहट ने सपने बुने, उधेड़ बुन में कुछ बिखरे तोह तो कुछ आबाद हुए, सुबह कि गर्मी में कुछ सिलवटें सुलझी, तब जाके तस्वीर साफ़ हुई.